Sun Ghar Shahar Shahar Ghar basti शुन्न घर शहर

सुन घर शहर शहर घर बस्ती
कुंण सुता कुंण जागे है।
लाल हमारा हम लालन के
तन सुता ब्रम जागे है।।

जल कमल कमल बीच कलियाँ भंवर वासना लेता हैं ।
दस दरवाजा फेरी फिरता अलख अलख वो करता है।।

सुन घर शहर………………………………
                                        ब्रम जागे है……………..

भंवर गुफा में तपस्वी तापे तपस्वी तपस्या करता है।
पांचो चेला फिरे अकेला निर्गुण का गुण गाता है।।

सुन घर शहर………………………………..
                                       ब्रम जागे है………….

जीवंत जोगी माया जोड़ी मुआ माया मणि है।
खोजयां खबर पड़े घट भीतर योगाराम की बाणी है।।

सुन घर शहर।……………………………       
                                   ब्रम जागे है।।

एक अभचरा हाजिर ऊभी दूजी सुरमा सारे है।
तीजी सुकमना सेज बिछावें परण्या नही कुंवारा है।।

सुन घर शहर…………………………………….
                                       ब्रम जागे है…….    .

कुंवारी कन्या के पुत्र जन्मया मात पिता मन भाता है।
शरण मछिन्दर जति गौरख बोले एक अखंडी ध्याता है।।

सुन घर शहर शहर घर बस्ती कुंण सुता कुंण जागे है।
लाल हमारा हम लालन के तन सुता ब्रम जागे है।।

श्री नाथ जी महाराज की जय
गौरख नाथ जी महाराज की जय
मछिन्दर नाथ जी महाराज की जय

           

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