साचा सिमरन करो राम का और वार्ता सब झूठी ।।
इंद्र घटा ले सतगुरु आया इमरत बूंदा हद बूंटी ।
तिरवेणी का रंग महल में हंसले लाला हद लूटी ।।
हरि भज हरि भज………………………………..
पांचू चोर बसे काया में ज्यां की पकड़ो सिर छोटी ।
पाँचा ने पकड़ पच्चीसा ने बसकर जद जाणु थारी बुद्ध मोटी।।
हरि भज हरि भज……………………………………….
सत सिमरन का शैल बनाओ ढाल बनाओ धीरज की ।
काम क्रोध ने मार हटाओ जद जाणु थारी राजपूती ।।
हरि भज हरि भज………………………………………
रुनझुन रुनझुन बाजा बाजे जोत झिलामिल वां जगती ।
ॐ कार के रंग महल में हँसले चुगिया निज मोती ।।
हरि भज हरि भज…………………………………….
पक्का धड़ी का तोल बनाओं काण मति राखो एक रति ।
शरण मछिन्दर जति गौरख बोले अलख लख्या सो खरा जति ।।
हरि भज हरि भज……………………………………….
श्री नाथ जी महाराज की जय
गौरख नाथ जी महाराज जी जय