~गुरु महिमा भजन लिरिक्स~
काहू सौं न रोष तोष काहू सौं न राग द्वेष,
काहू सौं न वैर भाव काहू सौं न घात हैं,
काहू सौं न बकवाद काहू सौं नहीं विषाद,
काहू सौं न संग न तौ काहू पच्छपात है ।।
काहू सौं न दुष्ट बैन काहू सौं न लेन देन,
ब्रह्म कौ विचार कछु और न सुहात
सुन्दर’ कहत सोई ईसन को महाईश,
सोई गुरुदेव जाके दूसरी न बात है ।।
गुरु महिमा भजन लिरिक्स
गुरु बिन ज्ञान नहिं, गुरु बिन ध्यान नहिं,
गुरु बिन आतम बिचार न लहतु है
गुरु बिन प्रेम नहिं गुरु बिन नेम नहिं,
गुरु बिन सीलहु सन्तोष न गहतु है ।
गुरु बिन प्यास नहिं बुद्धि को प्रकाश नहिं,
भ्रमहू को नास नहिं संसइ ही रहतु है ।
गुरु बिनु बाट नहिं कौड़ी बिनु हाट नहीं,
सुन्दर प्रगट लोक वेद यों कहतु है
प्रेषक:- महेन्द्रनाथ