गुरु ज्ञान बतायो रे जगत माने झूठ लखायो रे।
जग झूठ लखायो रे जद माने नेछो आयो रे ।।
रजु रेण अंधारी रे ज्यूँ सर्प निवारि रे ।
ज्यूँ सर्प निवारि रे वो भव भगभारी रे।।
गुरु ज्ञान बतायो…………………… ……
मिरगा जल दिसे रे कोई पियो ना प्यासो रे ।
कोई पियो ना प्यासों रे कोई बिस्वा बीसे रे ।।
गुरु ज्ञान बतायो………………………………………
कोई शीप अनूपा रे कर जाण्यो रुपा रे ।
कर जाण्यो रूपा रे कोई भयो ना भूपा रे ।।
गुरु ज्ञान बतायो………………………………………
बंदिया सूत जुले रे नहीं आकाशा फुले रे ।
नही आकाशा फुले रे सुंदर कदे ना भूले रे।।
अपने अपने गुरुदेव की जय
गायक :- महेंद्र नाथ बुटाटी धाम