खलक है रेन का सपना भजन लिरिक्स|jhalak sab ren ka sapna bhajan lirics

 खलक है रेन का सपना समझ मन कोई नही अपना ।
कठण है लोभ की धारा बुहा सब जाय संसारा ।।



पता जैसे डाल से टुटा घड़ा जैसे नीर का फूटा ।
ऐसे नर जाय जिंदगानी सवेरे चेत अभिमानी ।1।



भूलो मत देख तन गोरा जगत में जीवना थोड़ा ।
तजो मद लोभ चतुराई  निसंग होय रेवो जग माई ।2।



सजन परिवार सूत दारा एक दिन होवेगा न्यारा ।
निकल जब प्राण जावेगा कोई नही काम आएगा ।3।



सदा मत जाणं आ देहा लगा हरि नाम से नेहा ।
कटे जम जाल की फांसी केवे कबिर अविनाशी ।4।




 खलक है रेन का सपना समझ मन कोई नही अपना ।
कठण है लोभ की धारा बुहा सब जाय संसारा ।।



पता जैसे डाल से टुटा घड़ा जैसे नीर का फूटा ।
ऐसे नर जाय जिंदगानी सवेरे चेत अभिमानी ।1।



भूलो मत देख तन गोरा जगत में जीवना थोड़ा ।
तजो मद लोभ चतुराई  निसंग होय रेवो जग माई ।2।



सजन परिवार सूत दारा एक दिन होवेगा न्यारा ।
निकल जब प्राण जावेगा कोई नही काम आएगा ।3।



सदा मत जाणं आ देहा लगा हरि नाम से नेहा ।
कटे जम जाल की फांसी केवे कबिर अविनाशी ।4।



 खलक है रेन का सपना समझ मन कोई नही अपना ।
कठण है लोभ की धारा बुहा सब जाय संसारा ।।



पता जैसे डाल से टुटा घड़ा जैसे नीर का फूटा ।
ऐसे नर जाय जिंदगानी सवेरे चेत अभिमानी ।1।



भूलो मत देख तन गोरा जगत में जीवना थोड़ा ।
तजो मद लोभ चतुराई  निसंग होय रेवो जग माई ।2।



सजन परिवार सूत दारा एक दिन होवेगा न्यारा ।
निकल जब प्राण जावेगा कोई नही काम आएगा ।3।



सदा मत जाणं आ देहा लगा हरि नाम से नेहा ।
कटे जम जाल की फांसी केवे कबिर अविनाशी ।4।

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