घणा दिन सो लियो रे जाग मुसाफिर भजन लिरिक्स

घणा दिन सो लियो रे जाग मुसाफिर जाग ।



पहला सुतो माँ के गर्भ में उल्टा पाँव पसार ।
कोल वचन कर बाहर आयो भूल गयो किरतार ।।
जन्म थारो हो रियो रे बंदा जाग मुसाफिर जाग । ।

घणा दिन सो लियो रे ……………………………….


दूजो सुतो माँ की गोद में हंस हंस दांत दिखाई ।
बहन भुआ थारो लाड लडायो हो रियो आनन्द उछाव
नाम थारो हो रियो रे बंदे जाग मुसाफिर जाग ।।

घणा दिन सो लियो रे.………………………………


तीजो सुतो त्रिया सहज में हिंगलू रा ढोलया ढाल ।
त्रिया थारो लाड लडायो माया मैं गयो लिपटाय
ब्याव थारो हो रियो रे बंदे जाग मुसाफिर जाग।।

घणा दिन सो लियो रे……………………………..


चौथा सुतो जाय शमशान में लंबा पाँव पसार ।
कहे कबीर सुनों भाई साधों दिनी अग्नी लगाए
मरण थारो हो गियो रे बंदे जाग मुसाफिर जाग। ।।

घणां दिन सो लियो रे ……………………………..


Typed :-Mahendra Nath


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